बहू-बेटे से पीड़ित मां-बाप को राहत, पुलिस इंस्पेक्टर को देखभाल का निर्देश
बहू-बेटे से पीड़ित मां-बाप को राहत, पुलिस इंस्पेक्टर को देखभाल का निर्देश
प्रयागराज, 06 अगस्त । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटे व बहू से पीड़ित सीनियर सिटिजन को बड़ी राहत दी है। हालांकि कोर्ट ने जिलाधिकारी द्वारा सीनियर सिटिजन की सुरक्षा को लेकर दिये आदेश पर हस्तक्षेप से इंकार कर दिया और पुलिस इंस्पेक्टर को देखभाल का निर्देश दिया है।
किन्तु मां-बाप को सताने वाले बेटे को मकान से बेदखल करने से रोक दिया है। बेटे का कहना था कि वसीयत के आधार पर चाचा के आधे हिस्से का वह हकदार है।
कोर्ट ने राजर्षि नगर गिलट बाजार, सिकरौल, शिवपुर वाराणसी स्थित भवन के निवासी सीनियर सिटिजन की जान-माल की सुरक्षा के लिए शिवपुर थाना प्रभारी को हफ्ते में एक दिन विजिट करने का निर्देश दिया है और कहा है कि उनके जीवन स्वतंत्रता को खतरा न होने पाये। कोर्ट ने कहा कि बेटा व बहू ऐसा कोई निर्माण न करने पाये जिससे उनकी हवा और रोशनी बाधित हो। विपक्षी बेटा उनकी बेसिक जरूरतें पूरी करे।
कोर्ट ने कहा कि सीनियर सिटिजन को जब भी मदद की जरूरत हो थाना प्रभारी से मांग सकते हैं। कोर्ट ने शिव प्रकाश सिंह को नोटिस जारी की है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 20 सितम्बर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने श्रीमती वंदना सिंह की याचिका पर दिया है।
जिलाधिकारी वाराणसी ने सीनियर सिटिजन एवं पैरेंट भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली के तहत मां-बाप की अर्जी पर बेटे की बेदखली सहित कई निर्देश जारी किए, जिसे बहू ने चुनौती दी थी। याची के अधिवक्ता का कहना था कि जिलाधिकारी को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। अधिकरण या सिविल कोर्ट को यह अधिकार है। चाचा की वसीयत के आधार पर याची के पति मकान के आधे हिस्सेदार है। घर में रहने का उसे अधिकार है। बेदखली पर रोक लगाई जाए।
सीनियर सिटिजन की तरफ से अधिवक्ता का कहना था कि डीएम को सीनियर सिटिजन एक्ट व नियम 21 के तहत उनके जीवन सम्पत्ति की सुरक्षा करने का अधिकार है, ताकि सीनियर सिटिजन सुरक्षा के साथ गरिमामय जीवन जी सकें। विपक्षी बेटे ने मां-बाप को एक कमरे में बंद कर दिया है और बाहर से ताला लगा दिया है।